घाव वो फूल है…..
घाव वो फूल है…..
जो ना खिलता है
ना मुरझाता है।
कभी अपनों को
अपनों से मिला
अनचाहा तोहफा है।
प्रेम के सुगंध से महक कर
मिली बे गंध उम्मीद है।
घाव वो फूल है
जिसकी ना तो कलियाँ है
ना ही पंखुड़ियाँ है
सिर्फ कांटों की टहनियाँ है।
घाव वो फूल है
जिसे ना चाहकर भी
गुलदस्ता सा हाथ में लेकर
सीने से लगाएं बैठे है।