Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Feb 2023 · 1 min read

घाव प्रेम के

घाव के अपने प्रकार हैं
कुछ दर्द छोड़ जाते हैं
कुछ दाग,

दुर्घटनाओं में आई चोटों के
घाव भर जाते हैं
दाग बने रहते हैं ,

गाल पर पड़े तमाचों के
दाग छूट जाते हैं
घाव बने रहते हैं,

जिनके दाग छूट जाते हैं
वे घाव देर तक हरे रहते हैं
भीतर ही भीतर
किसी कोने में,

उनको भरने के लिए कोई मलहम नही
सिवाय प्रेम के

घाव देने के बाद
किया गया प्रेम अनावश्यक है
गुलाब का फूल तोड़ने के पहले
काँटा चुभ जाए
तो फूल अच्छा नही लगता..।

●●●
देवेन्द्र दाँगी

1 Like · 192 Views

You may also like these posts

"अहमियत"
Dr. Kishan tandon kranti
*
*"मजदूर"*
Shashi kala vyas
*हिंदी साहित्य में रामपुर के साहित्यकारों का योगदान*
*हिंदी साहित्य में रामपुर के साहित्यकारों का योगदान*
Ravi Prakash
झगड़ा
झगड़ा
Rambali Mishra
आया बसंत
आया बसंत
श्रीकृष्ण शुक्ल
कुछ बातें मन में रहने दो।
कुछ बातें मन में रहने दो।
surenderpal vaidya
मुसाफिरखाना
मुसाफिरखाना
ओसमणी साहू 'ओश'
तेरा वादा.
तेरा वादा.
Heera S
शिकस्तहाल, परेशान, गमज़दा हूँ मैं,
शिकस्तहाल, परेशान, गमज़दा हूँ मैं,
Shweta Soni
"" *आओ बनें प्रज्ञावान* ""
सुनीलानंद महंत
.
.
*प्रणय*
संवेदनाएँ
संवेदनाएँ
Dr. Sukriti Ghosh
परायों में, अपना तलाशने निकलें हैं हमदम।
परायों में, अपना तलाशने निकलें हैं हमदम।
श्याम सांवरा
अजीब सी बेचैनी हो रही थी, पता नही क्यों, शायद जैसा सोचा था व
अजीब सी बेचैनी हो रही थी, पता नही क्यों, शायद जैसा सोचा था व
पूर्वार्थ
खुद के होते हुए भी
खुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
मैं नारी, सर्वशक्तिशाली हूँ।
मैं नारी, सर्वशक्तिशाली हूँ।
लक्ष्मी सिंह
मन में हलचल सी उठे,
मन में हलचल सी उठे,
sushil sarna
तमाम उम्र अंधेरों में कटी थी,
तमाम उम्र अंधेरों में कटी थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मातृ भाषा हिन्दी
मातृ भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
कवि रमेशराज
गहरे जख्म
गहरे जख्म
Ram Krishan Rastogi
जिंदगी तू मुझसे रूठकर किधर जायेगी
जिंदगी तू मुझसे रूठकर किधर जायेगी
Jyoti Roshni
मनुष्य को...
मनुष्य को...
ओंकार मिश्र
याद कितनी खूबसूरत होती हैं ना,ना लड़ती हैं ना झगड़ती हैं,
याद कितनी खूबसूरत होती हैं ना,ना लड़ती हैं ना झगड़ती हैं,
शेखर सिंह
इस आकाश में अनगिनत तारे हैं
इस आकाश में अनगिनत तारे हैं
Sonam Puneet Dubey
" दिखावा "
ज्योति
कल्पना
कल्पना
Ruchika Rai
मुक्तक
मुक्तक
महेश चन्द्र त्रिपाठी
3249.*पूर्णिका*
3249.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सड़क सुरक्षा
सड़क सुरक्षा
अरशद रसूल बदायूंनी
Loading...