घर
ईंट-पत्थर नहीं आधार घर का,
नींव है प्यार-सहकार घर का।
जहां जीवंत होते सपने है,
जहां साथ रहते अपने है।
यहीं से हौसले उड़ान भरते हैं,
यहीं से जीत के अरमान सजते हैं।
त्याग,सहिष्णुता से जुड़ी बुनियाद इसकी,
हंसी,ख़ुशी ही केवल है फरियाद इसकी ।
।।रुचि दूबे।।