Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2024 · 3 min read

घर मे बुजुर्गो की अहमियत

एक बहुत बड़ा विशाल पेड़ था। उस पर बहुत सारे हंस रहते थे।

उनमें एक बहुत बुजुर्ग हंस था, वह बुद्धिमान और बहुत दूरदर्शी। सब उसका आदर करते ‘ताऊ’* कहकर बुलाते थे

एक दिन उसने एक नन्ही सी बेल को पेड़ के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया। ताऊ ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा, “देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुंह में ले जाएगी।”

एक बेफिक्र युवा हंस हंसते हुए बोला, “ताऊ, यह छोटी सी बेल हमें कैसे मौत के मुंह में ले जाएगी?”

बुजुर्ग हंस ने समझाया,

आज यह तुम्हें छोटी सी लग रही है। धीरे धीरे यह पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी। फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से चिपक जाएगा, तब नीचे से ऊपर तक पेड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी बन जाएगी। कोई भी शिकारी सीढ़ी के सहारे चढ़कर हम तक पहुंच जाएगा और हम मारे जाएंगे।

दूसरे धनपशु हंस को यकीन न आया, _एक छोटी सी बेल कैसे सीढ़ी बनेगी

तीसरा सेकुलर हंस बोला, “ताऊ, तू तो एक छोटी सी बेल को खींचकर ज्यादा ही लंबा कर रहा है।”

एक हंस बड़बड़ाया,
_यह ताऊ अपनी अक्ल का रौब डालने के लिए अंट शंट कहानी बना रहा है

इस प्रकार किसी दूसरे हंस ने ताऊ की बात को गंभीरता से नहीं लिया।

_इतनी दूर तक देख पाने की उनमें अक्ल कहां थी?

समय बीतता रहा बेल लिपटते लिपटते ऊपर शाखाओं तक पहुंच गई।

बेल का तना मोटा होना शुरू हुआ और सचमुच ही पेड़ के तने पर सीढ़ी बन गई। जिस पर आसानी से चढ़ा जा सकता था।

सबको दूरंदेशी ताऊ की बात की सच्चाई सामने नजर आने लगी। पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बेल इतनी मजबूत हो गई थी कि उसे नष्ट करना हंसों के बस की बात नहीं थी।

एक दिन जब सब हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे तब एक बहेलिया उधर आ निकला।

पेड़ पर बनी सीढ़ी को देखते ही उसने पेड़ पर चढ़कर जाल बिछाया और चला गया।

सांझ को सारे हंस लौट आए और जब पेड़ से उतरे तो बहेलिए के जाल में बुरी तरह फंस गए।

जब वे जाल में फंस गए और फड़फड़ाने लगे,
तब उन्हें ताऊ की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता लगा।

सब सेकुलर ताऊ की बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे।

ताऊ सबसे रुष्ट था और चुप चाप बैठा था।

एक हंस ने हिम्मत करके कहा, _ताऊ, हम मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुंह मत फेरो।

दूसरा हंस बोला, इस संकट से निकालने की तरकीब तू ही हमें बता सकता हैं, आगे हम तेरी कोई बात नहीं टालेंगे।

सभी हंसों ने हामी भरी तब ताऊ ने उन्हें बताया,
“मेरी बात ध्यान से सुनो सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना।

बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकालकर जमीन पर रखता जाएगा, वहां भी मरे समान पड़े रहना ,

जैसे ही वह अन्तिम हंस को नीचे रखेगा,
मैं सीटी बजाऊंगा। मेरी सीटी सुनते ही सब उड़ जाना।”

सुबह बहेलिया आया।

हंसों ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था।

सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर जमीन पर पटकता गया, और सीटी की आवाज के साथ ही सारे हंस उड़ गए।

बहेलिया अवाक होकर देखता रह गया।

वरिष्ठजन घर की धरोहर हैं। वे हमारे संरक्षक एवं मार्गदर्शक है। जिस तरह आंगन में पीपल का वृक्ष फल नहीं देता, परंतु छाया अवश्य देता है।
उसी तरह हमारे घर के बुजुर्ग हमे भले ही आर्थिक रूप से सहयोग नहीं कर पाते है, परंतु उनसे हमे संस्कार एवं उनके अनुभव से कई बाते सीखने को मिलती है।

बड़े-बुजुर्ग परिवार की शान है वो कोई कूड़ा करकट नहीं हैं, जिसे कि परिवार से बाहर निकाल फेंका जाए। आधुनिक और वामपंथी विचारधारा से मुक्त होना हमारे धर्म समाज एवं संस्कृति के लिए एक श्रेष्ठ उपाय है।

हमारा भारतवर्ष एक वृक्ष है जो हमें आश्रय देता है देशद्रोही विपक्षियों के रचें षड्यंत्र ने जगह जगह पर हमारे ने आश्रय स्थान को ऐसी विषैली वेल ने जकड़ कर रखा है, उसे सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है।

1 Like · 94 Views

You may also like these posts

मनीआर्डर से ज्याद...
मनीआर्डर से ज्याद...
Amulyaa Ratan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shally Vij
Supernatural Transportation: Analysing the Scientific Evidence of Alleged Phenomena
Supernatural Transportation: Analysing the Scientific Evidence of Alleged Phenomena
Shyam Sundar Subramanian
थोड़ा हल्के में
थोड़ा हल्के में
Shekhar Deshmukh
........?
........?
शेखर सिंह
ना वह हवा ना पानी है अब
ना वह हवा ना पानी है अब
VINOD CHAUHAN
जब तुम
जब तुम
Dr.Priya Soni Khare
13, हिन्दी- दिवस
13, हिन्दी- दिवस
Dr .Shweta sood 'Madhu'
धूप  में  निकलो  घटाओं  में नहा कर देखो।
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो।
इशरत हिदायत ख़ान
जीवन में कुछ पाना है तो झुकना सीखिए कुएं में उतरने वाली बाल्
जीवन में कुछ पाना है तो झुकना सीखिए कुएं में उतरने वाली बाल्
Ranjeet kumar patre
सपनों की उड़ान: एक नई शुरुआत
सपनों की उड़ान: एक नई शुरुआत
Krishan Singh
कुल मर्यादा
कुल मर्यादा
Rajesh Kumar Kaurav
जीवन ये हर रंग दिखलाता
जीवन ये हर रंग दिखलाता
Kavita Chouhan
4646.*पूर्णिका*
4646.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जान लो पहचान लो
जान लो पहचान लो
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*अभी और कभी*
*अभी और कभी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
बुंदेली (दमदार दुमदार ) दोहे
बुंदेली (दमदार दुमदार ) दोहे
Subhash Singhai
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
Rituraj shivem verma
मां से प्रण
मां से प्रण
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बंदगी हम का करीं
बंदगी हम का करीं
आकाश महेशपुरी
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
Neelofar Khan
मेरे घर के सामने एक घर है छोटा सा
मेरे घर के सामने एक घर है छोटा सा
Sonam Puneet Dubey
मेरा भी जिक्र कर दो न
मेरा भी जिक्र कर दो न
Kanchan verma
चांद पर पहुंचे बधाई, ये बताओ तो।
चांद पर पहुंचे बधाई, ये बताओ तो।
सत्य कुमार प्रेमी
मार्केटिंग
मार्केटिंग
Shashi Mahajan
*आई करवा चौथ है, लाई शुभ संदेश (कुंडलिया)*
*आई करवा चौथ है, लाई शुभ संदेश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
दो अक्टूबर का दिन
दो अक्टूबर का दिन
डॉ. शिव लहरी
"वो शब्द क्या"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...