Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jul 2023 · 1 min read

घर में बचा न एका।

घर में बचा न एका।
दुनिया भर का ठेका।।
😢(हमारी हक़ीक़त)😢

■प्रणय प्रभात■

176 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मानव जीवन - संदेश
मानव जीवन - संदेश
Shyam Sundar Subramanian
" असर "
Dr. Kishan tandon kranti
आत्महत्या कर के भी, मैं जिंदा हूं,
आत्महत्या कर के भी, मैं जिंदा हूं,
Pramila sultan
परिमल पंचपदी---
परिमल पंचपदी---
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बस इतने के लिए समेट रक्खा है
बस इतने के लिए समेट रक्खा है
शिव प्रताप लोधी
■एक शेर और■
■एक शेर और■
*प्रणय*
Let us create bridges to connect people beyond boundaries,
Let us create bridges to connect people beyond boundaries,
Chitra Bisht
4386.*पूर्णिका*
4386.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्‍छा है,
शेखर सिंह
ग़ज़ल __ दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती।
ग़ज़ल __ दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती।
Neelofar Khan
मन का डर
मन का डर
Aman Sinha
तुमसे दूर रहकर जाना जुदाई क्या होती है
तुमसे दूर रहकर जाना जुदाई क्या होती है
डी. के. निवातिया
भरें भंडार
भरें भंडार
Mahesh Jain 'Jyoti'
तारों की बारात में
तारों की बारात में
Suryakant Dwivedi
तुम...
तुम...
Vivek Pandey
धीरे-धीरे हर चीज ह नदावत हे
धीरे-धीरे हर चीज ह नदावत हे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
बिड़द थांरो बीसहथी, खरो सुणीजै ख्यात।
बिड़द थांरो बीसहथी, खरो सुणीजै ख्यात।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
तुम्हें जब सोचते हमदम ज़माना भूल जाते हैं ।
तुम्हें जब सोचते हमदम ज़माना भूल जाते हैं ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
तकरार
तकरार
ओनिका सेतिया 'अनु '
गृहणी का बुद्ध
गृहणी का बुद्ध
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
तेरे जाने का गम मुझसे पूछो क्या है।
तेरे जाने का गम मुझसे पूछो क्या है।
Rj Anand Prajapati
जीवन सभी का मस्त है
जीवन सभी का मस्त है
Neeraj Agarwal
सुविचार..
सुविचार..
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
Harminder Kaur
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
ज्यादा सोचना बंद करो
ज्यादा सोचना बंद करो
पूर्वार्थ
अन्तर्राष्टीय मज़दूर दिवस
अन्तर्राष्टीय मज़दूर दिवस
सत्य कुमार प्रेमी
विरह
विरह
Shutisha Rajput
जिंदगी में इतना खुश रहो कि,
जिंदगी में इतना खुश रहो कि,
Ranjeet kumar patre
तेरे होने का सबूत
तेरे होने का सबूत
Minal Aggarwal
Loading...