घर-घर तिरंगा
आजादी का जश्न मनाओ, सारे हिंदुस्तान में।
घर-घर में फहरा है तिरंगा, भारत माँ की शान में।।
इस माटी की सोंधी ख़ुशबू, कंकर भी अनमोल हैं।
जाति, धर्म और बोली अलग पर प्यारे मीठे बोल हैं।
खानपान परिधान अलग पर, सबका एक विचार है।
बच्चे, बूढ़े, जवां दिलों को, माँ भारत से प्यार है।
शौक जहाँ का जीना-मरना, भारत के सम्मान में।।
घर-घर में फहरा है तिरंगा, भारत माँ की शान में।।
पूरब की मधुरिम लाली से, पश्चिम की हर शाम तक।
उत्तर-दक्षिण तीन लोक में, सब धर्मों के धाम तक।
जनगण-मन और वन्देमातरम, हर ओठों का गीत हो।
विश्वगुरु का सपना पूरा, हर दिल पे हमारी जीत हो।
राष्ट्रभक्ति की अलख जगी है, हर दिल हर इंसान में।।
घर-घर में फहरा है तिरंगा, भारत माँ की शान में।।
अम्बर भर के प्यार दिलों में खुशियों का अंबार है।
स्वर्ग यहां माँ के चरणों में हर दिन एक त्यौहार है।
दुश्मन की हर पीढ़ी सुन ले, भारत एक परिवार है।
हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, हम सब भाई चार है।
आपस में न लड़े-भिड़ें हम, संग आँधी में तूफान में।।
घर-घर में फहरा है तिरंगा, भारत माँ की शान में।।
संतोष बरमैया #जय