घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
(०१)
चाहो तो अपने वश में ये पल हो सकते है
सब्र करो तो सारे मीठे फल हो सकते है
बिना लड़े समझो नाज़ुक से रिश्तों को
घर के सारे मसले घर में हल हो सकते है
(२)
आज के लालच में उसने कल होने नहीं दिया
कड़वी ज़ुबा थी तो मीठा फल होने नहीं दिया
ज़रा सी बात पर बेटी संग मां थाने पहुंच गई
होने वाला था पर मसला हल होने नहीं दिया
स्वरचित मौलिक गीतकार (सर्वाधिकार सुरक्षित)
©®कवि दामोदर विरमाल इंदौर मध्यप्रदेश (भारत)