घर की देहरी पर टंगा दिन
घर की देहरी पर टंगा दिन कहता है,
साँझ हुई अब नादानों आराम करो।
माँ निकली है, तुलसी चौरे, लेकर बाती!
दीपक की लौ हिलकर कहती ‘नाम’ करो।
घर की देहरी पर टंगा दिन कहता है,
साँझ हुई अब नादानों आराम करो।
माँ निकली है, तुलसी चौरे, लेकर बाती!
दीपक की लौ हिलकर कहती ‘नाम’ करो।