Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2019 · 4 min read

घर की इज्जत

आज के समय में मैं एक ऐसे मुद्दे को आवाज देने जा रहा हूँ। जिसकी जरूरत हर किसी को है।

आज मैं यह देख रहा हूं कि आज कि समाज में हर लोग अपने इज्जत को चार चांद लगाना चाहते हैं। जबकि दूसरे की इज्जत को वह अपना रखेल बनाना चाहते हैं और महिला भी काहे को इसमें पीछे रहने जाए। कहा जाता है कि घर की इज्जत को यदि बनाना चाहे तो महिला ही उसे बना सकती है और बिगाड़ना भी उन्हीं के हाथों में है। औरत यदि चाहे तो वह अपने घर की इज्जत में चार चांद लगा सकती है और वह चाहे तो मिट्टी में मिला सकती है। इसी पर आधारित एक लघु कहानी मैं आप लोगों के आगे परोसने जा रहा हूं।

एक दिन की बात यह है कि एक गांव में पांच सदस्य वाली एक परिवार था जिसके घर में सब कुछ अच्छा चल रहा था। पर अचानक ऐसी घटना घटी की परिवार को छिन्न-भिन्न कर दिया।

यह कहानी मोतीपुर गांव की है। यह तत्कालिक घटना है. पर ऐसी घटना अब केवल उसी गांव में नहीं बल्कि हर गांव में घट रही है जो मैं आज बताने जा रहा हूं

गर्मी का मौसम था। रात का समय था। उसी रात में चंद्रमा ने अपनी शीतल प्रकाश फैलाया था। उसी अजोरिया की रात में उस घर के मुखिया सदस्य यानी पति पत्नी द्वार पर सोए हुए थे और उस घर में एक लड़की थी जिसकी बड़े भैया का विवाह हो चुका था जिसके कारण उसका बड़ा भाई घर में सोता था और उस लड़की के माता-पिता गर्मी के कारण द्वार पर सोते थे तथा वह लड़की द्वारघारा में सोती थी। उस लड़की का आचरण खराब था। जिसके चलते उसका कनेक्शन किसी दूसरे लड़के के साथ चलता था पर यह बात परिवार के किसी सदस्य को मालूम नहीं था।

एक दिन ऐसा हुआ. कि रोज की तरह उस रात भी उस लड़की के माता-पिता द्वार पर सोए हुए थे जबकि बड़ा भाई घर के अंदर सोया हुआ था। तभी वह लड़की उस निस रात में सरेह ओर से आकर जब घर में प्रवेश की तब उसके पिताजी ने शक की निगाह से देखें और अपनी पत्नी को जगाए और इस बात को उससे कहें पर माँ जो थी भोली-भाली। उसने इस शक को सीधे टाल दी। पर बात वहीं पर खत्म नहीं हुआ। वह लड़की आदत से लाचार हो गई थी और रोज-रोज ऐसे मौके का फायदा उठा रही थी और ऐसे ही मौके का फायदा उठाने के लिए दूसरी रात भी जब वह सरेह की ओर से आकर घर में प्रवेश की तो उसके पिताजी ने फिर से देख लिए। इस पर उनके शक को और मजबूती मिली और उसने फिर से अपने पत्नी को जगाए और बोले कि जाकर उससे पूछो कि वह इतनी रात को कहां गई थी। इस बार उसने अपनी लड़की से पूछी तो लड़की ने सीधे से जवाब दिया कि मेरा पेट खराब हो गया था जिसके कारण बाहर गई थी। तो मां ने कहा तूने मुझे क्यों नहीं जगाया. तो उसने कहा कि यदि मैं तुम्हें जब तक जगाती तब तक मेरा तबीयत और खराब हो जाता। इसलिए मैं तुम्हें नहीं जगा पाई और जल्दी में चली गई। इस तरह उस लड़की ने झूठ बोल कर बात को बहला दिया और इस बात पर उस लड़की की मां ने विश्वास कर ली और आकर वह अपने पति को दो-चार टुक खरी-खरी सुना दी। उसने कही कि आप केवल शक करते ही रहते हैं आरे सयान बेटी है और लाज के मारे नहीं जगाती होगी क्योंकि आप और हम यहां एक साथ जो सोते हैं।

इस पर उस लड़की को अब पता चल गया कि अब यदि मैं रात में कहीं गई तो पकड़ी जाऊंगी इसलिए उसने दो – चार रात कहीं नहीं गई। इस पर उसकी मां को शक नहीं हुआ पर उसके पिता का शक अभी मीटा ही नहीं था तब तक पांच रात के बाद सुबह होते ही मालूम पड़ा की वह घर छोड़कर किसी के साथ फरार हो गई है।

इस तरह पूरे गांव,टोले,मोहल्ले में हंगामा मच गया की फालनवा की लड़की किसी के संग फरार हो गई है. इस तरह घर की इज्जत मिट्टी में मिल गई. यदि उस रात उस महिला ने अपने पति की बात पर ज्यादा ध्यान दी होती तो आज ऐसा करनामा देखने को नहीं मिलता. पर उसने अपने पति के बातों पर ध्यान नहीं दिया. जिसका परिणाम यह निकला और उसके पति का शक सही निकला.

इसीलिए कहा जाता है कि हर औरत चाहे तो घर की इज्जत में चार चांद लगा सकती है या उसे मिट्टी में मिला सकती है और यही हुआ भी.
पर मैं इस कहानी के माध्यम से यह संदेश देना चाहता हूं कि आप अपने घर की पैनी नजर रखें और देखे की छोटी सी भूल से कहीं बड़ा सा दाग न लगा जाए.

लेखक – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳

Language: Hindi
2 Likes · 1792 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे प्रेम पत्र 3
मेरे प्रेम पत्र 3
विजय कुमार नामदेव
* मन में उभरे हुए हर सवाल जवाब और कही भी नही,,
* मन में उभरे हुए हर सवाल जवाब और कही भी नही,,
Vicky Purohit
*सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें (राधेश्यामी छंद
*सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
हकीकत को समझो।
हकीकत को समझो।
पूर्वार्थ
प्रकृति का बलात्कार
प्रकृति का बलात्कार
Atul "Krishn"
मेरा देश , मेरी सोच
मेरा देश , मेरी सोच
Shashi Mahajan
शीर्षक - बुढ़ापा
शीर्षक - बुढ़ापा
Neeraj Agarwal
कानून अंधा है
कानून अंधा है
Indu Singh
😢लुप्त होती परम्परा😢
😢लुप्त होती परम्परा😢
*प्रणय*
You never know when the prolixity of destiny can twirl your
You never know when the prolixity of destiny can twirl your
Chaahat
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सिय का जन्म उदार / माता सीता को समर्पित नवगीत
सिय का जन्म उदार / माता सीता को समर्पित नवगीत
ईश्वर दयाल गोस्वामी
*.....उन्मुक्त जीवन......
*.....उन्मुक्त जीवन......
Naushaba Suriya
किरदार निभाना है
किरदार निभाना है
Surinder blackpen
स्वार्थ से परे !!
स्वार्थ से परे !!
Seema gupta,Alwar
जन्मदिन शुभकामना
जन्मदिन शुभकामना
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
अंधभक्तो को जितना पेलना है पेल लो,
अंधभक्तो को जितना पेलना है पेल लो,
शेखर सिंह
बापक भाषा
बापक भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।
जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
ये नोनी के दाई
ये नोनी के दाई
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*हाथी*
*हाथी*
Dushyant Kumar
" युद्धार्थ "
Dr. Kishan tandon kranti
खूब तमाशा हो रहा,
खूब तमाशा हो रहा,
sushil sarna
4020.💐 *पूर्णिका* 💐
4020.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
कान्हा
कान्हा
Mamta Rani
मैं हूं कार
मैं हूं कार
Santosh kumar Miri
आपके मन की लालसा हर पल आपके साहसी होने का इंतजार करती है।
आपके मन की लालसा हर पल आपके साहसी होने का इंतजार करती है।
Paras Nath Jha
I've lost myself
I've lost myself
VINOD CHAUHAN
Loading...