घर का खाना क्या कहना (मुक्तक)
घर का खाना क्या कहना (मुक्तक)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
पराँठे लाल हल्की आँच पर सिंक पाना क्या कहना
गरम आलू की सब्जी को बनाकर लाना क्या कहना
कढ़ाई में तला पापड़ समझ लो स्वर्ग जैसा है
दही के रायते के संग घर का खाना क्या कहना
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451