घरोहर एक नजर
ये भारत भूमि ये पुण्य भूमि खुद में बलिदानी थी
जिसकी गौरव गाथा पूरे भूमंडल ने मानी थी
हम उनके वंशज है जिनका शौर्य निराला था
काबुल कंधार कहा वर्मा नेपाल हमारा था
वो चंद्रगुप्त जो मौर्य वंश का तारा था
जिसकी शौर्य कथा को पूरे भूमंडल ने स्वीकारा था
विश्व विजेता के रथ को जिसने वापस मोड़ दिया था
यवनों के पौरुष को अंदर ही अंदर तोड़ दिया था
जिसने हमको कायर समझा हो इतिहास उठाकर पढ़ लेना
मौर्य वंश के शिला लेख को मन ही मन गढ़ लेना
ये वो धरती है जिसमे बुद्ध कबीर हुए
भारत मां की रक्षा की खातिर वीर शिवा जी जैसे वीर हुए
मां सावित्री ने महिला शिक्षा का अलख जगाया था
ज्योतिबाराव ने शिक्षा का दीपक घर घर पहुंचाया था
ये नवयुग का भारत है हम सब ने स्वीकारा है
सबको शिक्षा सबको सम्मान ये संकल्प हमारा है
अर्जुन ही है सर्वश्रेष्ठ ये निर्णय रण भूमि में हो जाने दो
एकलव्य खड़ा है बांधे शरा शर एक युद्ध ठन जाने दो
बस उन द्रोणों को दूर करो जो स्वतंत्र परीक्षा के शोषक है
आजादी की स्वर्ण जयंती पर भी जाति धर्म के पोषक है
हम स्वाधीन बने स्वलंब रहे ये संकल्प हमारा था
बापू गांधी के सपनो का भारत हो हम सब ने स्वीकारा था
फिर भी देखो ये कैसा प्रपंच दिखाई देता है
नौटंकी करने वाले गिद्धों का मंच दिखाई देता है
भूख बेगारी का पाप अभी भी है मुझ में
भ्रष्टाचारी का दाग अभी भी है मुझ में
जिस दिन इन सब पर पूर्ण विजय मिल जायेगी
हम विश्व गुरु है ये पूरी दुनिया फिर से स्वीकारेगी
सचिन पटेल