घनी सुखवीर ई किस्मत बा जरूरी।।
घनी सुग्घर ई किस्मत बा जरूरी।
समझ लीं ई हकीकत बा जरूरी।
कइल गर बन्दगी जिनिगी में चाहीं,
वेदवन के तिलावत बा जरूरी।
दिखावा से न कवनो काम होई,
जिनिगिया में ई मेहनत बा जरूरी।
सफलता म़े हौसला के सङ्गे जी,
बुजुर्गन के नसीहत बा जरूरी।
अना पऽ आँच जब आवे लगे तऽ,
हिफ़ाज़त म़े बगावत बा जरूरी।
मिटा दीं गर दिखे नापाक हसरत,
अमन के पाक हसरत बा जरूरी।
चले जिनिगी सचिन ई शान से जे,
सुनी शालीन आदत बा जरूरी।
✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’