घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी छंद
विधान- कुल 31 मात्राएँ। 16, 15 पर यति। अंत में लघु गुरु।
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“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” ?सहमा सा कश्मीर है?
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झेलता आतंकी गाज,सहमा कश्मीर आज चल रही हैं गोलियाँ,जाँ लहू लुहान हैं।
छोड़ दी है मानवता,साथ लिए दानवता डराते बंदूक दिखा ,आतंकी हैवान हैं।
आतंकी के वार सहे, खूनी होली खेल रहे सीमा पर तैनात ये,लड़ते जवान हैं।
हाथ हथियार धर, गोली खाके सीने पर हौसले बुलंद रख, सैनिक कुर्बान हैं।
जय भारत जय हिंद की सेना !!!!!
डॉ. रजनी अग्रवाल”वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी(उ.प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर