घनाक्षरी
घनाक्षरी 8 8 8 7
**************
मेरे प्यारे प्यारे कान्हा
सब के दुलारे कान्हा
माखन सजा है रखा
अाके उसे खाइये ।
ग्वाल बाल साथ आऒ
गोपियों को संग लाओ
तान छेड़ प्रेम धुन
बंसुरी बजाइये
यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ
ढूढ़ा तुम्हे कहाँ कहाँ
कुछ भी पता न चला
दरश दिखाइये ।
आसन सजाये रखा
दिल को बिछाये रखा
गीत अब विनती करे
आ के बैठ जाइये ॥
” गीत”