घनाक्षरी
8,8,8,6
सुर घनाक्षरी
सृजन शब्द -मेघ
गगन में मेघ कारे,
बरसाते जल धारे,
सुंदर दिखें नजारे,
मन को मोहते।
बरसाते मेघ पानी,
अवनि चुनर धानी,
महकती रात रानी,
विहग डोलते।
पेड़ो पर पींग डाली ,
बोले कोयल काली,
नाचे बजा सब ताली,
खुशियां खोजते।
सीमा शर्मा ‘अंशु’