घनाक्षरी
जन हरण घनाक्षरी
सृजन शब्द-तपन
विरह तपन मन,
सहन जतन कर,
नयन सजल अब,
चल मिल सजना।
गहन तपन नभ,
जलन अगन सम,
बरस जलद अब,
तप कम करना।
पवन सरस चल,
नद बह कल कल,
तम मन पुलकित,
खुश मन रखना।
तपन दमन कब,
विचलित सब जन,
उलझन कब तक,
सुख मन करना ।
सीमा शर्मा ‘अंशु’