घनाक्षरी
—————————घनाक्षरी———————–
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कौवे आपदा में भी लगे हैं बोटी नोचने में ,
व्यस्त और मस्त दिखते हैं काँव – काँव में |
जहाँ आज धूप से आकुल है समाज वहीं ,
छाता लिये दौड़े हैं समाजसेवी छाँव में |
अवधू को लगता है आपदा की घड़ी में भी ,
राजनीति वाले सिर्फ लगे हैं चुनाव में |
शहरों में भूखे लाक डाउन से श्रमिक हैं ,
दानी लोग दो-दो केले बाँट रहे गाँव में ||
अवधकिोशोर ‘अवधू’
मो. न. 9918854285