घनाक्षरी छंद ( समुच्चय,आक्षेप अलंकार)- गुरूसक्सेना
दुर्गा गणेश ब्रह्मा विष्णु महेश पाँच,
देव मेरे भाग्य के सितारे चमकाइये।
भाग्य चमकाने पाँचों का भी जोर कम पड़े,
राम कृष्ण जी को इस कार्य में लगाइये।
राम कृष्ण जी के बाद भाग्य न चमक सके,
लगे हाथ हनुमान जी को बुलवाइये।
सभी मिलकर कालोनी में मुझे एकसाथ,
तीस बाइ साठ का प्लाट दिलवाइये।