घनाक्षरी छंद (बेकार सेवक)
विरोधाभास एवं
बक्रोति अलंकार
घनाक्षरी छंद
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पेट भर जाय यही, हमारा पुरस्कार,
चाहे पद पाके पापी पूरी पेटियाँ भरें ।
पहले डरे न कभी, सच बात कहने में,
उलट पलट हुआ, अब हम क्यों डरें?
धर्म के लिए दिये हैं, जिन्होंने कि प्राण दान,
तिनकी चरण रज,अंकित माथे करें ।
हमें कार सेवक तो, वंदनीय पूजनीय,
जो बेकार सेवक हैं, उनको कहाँ धरें ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर( म0 प्र0)