घटा उमड़ आई
कितनी घमस मौसम में आई, चिपक पसीने से नहलाई,
देर रात को आँख खुली, तेज परवाई हवा ठंडी चली,
मन कहता बरखा ऋतु आई, मानसून भी दिए दिखाई,
बादल ने बिजली दमकाई, काली भूरी घटा उमड़ आई,
नन्ही सी बूंदें टपकाई, फिर बारिश जोरों से आई,
मैं भीगी घर के अंगना, उछल उछल कर खूब नाहाई,
राहत पड़ी गर्मी से, बिन पंखे के नींद भी आई