घटता प्यार बढ़ता तकरार – – – रघु आर्यन
///////———- दो दोहे ———////////
आये जब हम दूर से, तब थे बड़े उदार ।
जीते हम ज्यों ज्यों गये, मिटते गये करार ।।
जीवन नीरस अब हुआ, होती बस तकरार ।
सब वादे वो क्या हुए, कहां गया वो प्यार ।।
——- रघु आर्यन ——