ग्वालिन
कल दीपावली है ,इसलिए आज शाम कुम्हार के दुकान पर बहुत भीड़ लगी है ।तरह-तरह के हाथी घोड़े , ,तोता, शेर और अनगिनत मिट्टी के प्यारे -प्यारे खिलौने और सुंदर- सुंदर दीपों से सजी हुई दुकान बहुत आकर्षक लग रही है। दुकान में भीड़ भी बहुत है सभी उनसे दीया ग्वालिन और तरह-तरह के मिट्टी के खिलौने खरीद रहे हैं। तभी एक औरत आई है और वह कुम्हार से कहने लगी कि वह ग्वालिन मुझे दे दो बहुत खूबसूरत रंग है मैंने बहुत खोजा लेकिन बारह दीयों वाली ग्वालिन कहीं नहीं मिल रही थी । कुम्हार ने दबी जुबान कहा कि क्षमा कीजिएगा मेम साहब मैं इसे आपको नहीं दे सकता। मेरा बेटा _बहू मुझसे अलग रहता है। जब मेरी पोती मुझसे मिलने आएगी तो मेरे पास इस ग्वालिन के अलावा उसे देने के लिए कुछ भी नहीं है।