गौ-माता
1
पञ्चगव्य यदि चाहिए, पालें गाय हजार।
संस्कृति को लो तुम बचा , दो सुन्दर उपहार।। 01।।
2
गायों को ही जानिए, चौपाए सरदार।
देकर मक्खन दुग्ध-घी, करतीं ये उपकार।।02।।
3
पूवर्ज थे श्री राम के, पूजें नंदनि गाय।
कहता आज प्रताप फिर,दिलीप नाम सुहाय।।03।।
:-प्रताप