गौरैया तुम घर आना
रोशनदान बनाया हमने, गौरैया तुम घर आना
अपना नीड बनाना उसमें, ची ची कर शोर मचाना
बचपन में देखा था जब तुम, तिनके तिनके लाती थीं
बड़े जतन से साथ चिढ़े के, सुंदर नीड बनाती थीं
देखा करते थे छुप छुप कर, दोनों का आना जाना
रोशनदान बनाया हमने, गौरैया तुम घर आना
देख तुम्हारे अंडे उसमें , बांछे सी खिल जाती थी
छूना मत इन अंडों को, मम्मी ये समझाती थी
झाँक झाँक कर देखा फिर भी, मन तो कभी नहीं माना
रोशनदान बनाया हमने, गौरैया तुम घर आना
सूना सूना सा लगता है, तुम बिन हमको अपना घर
वापस आ जाओ गौरैया,क्यों तुम यूँ गईं रूठकर
याद तुम्हारा आता हमको, फुदक फुदक कर के खाना
रोशनदान बनाया हमने, गौरैया तुम घर आना
20-3-2021
डॉ अर्चना गुप्ता