*गोलू चिड़िया और पिंकी (बाल कहानी)*
गोलू चिड़िया और पिंकी (बाल कहानी)
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रक्षाबंधन का दिन था । आसमान में पतंगे उड़ रही थीं। पिंकी का मन भी पतंग उड़ाने के लिए मचल उठा । बाजार से जाकर एक पतंग और चरखी पर कुछ डोर चढ़वा कर ले आई और उड़ाने लगी । मगर पतंग ऐसे थोड़े ही उड़ती है ? उसके लिए छुटकैया देनी पड़ती है । छुटकैया देने वाला कोई नहीं था। तब पतंग भला कैसे उड़ती ?
आखिर पिंकी थक गई ।चेहरे पर पसीना आ गया । उदास हो गई । सिर झुका कर ,दुखी होकर छत के एक कोने में पतंग हाथ में लेकर बैठ गई । सोचने लगी ,अब मेरी पतंग नहीं उड़ पाएगी । तभी उसकी निगाह गोलू चिड़िया की तरफ गई ,जो उसकी पतंग को अपनी चोंच में पकड़ कर उड़ाने की कोशिश कर रही थी । पिंकी ने जब गोलू चिड़िया को कई बार ऐसी कोशिश करते हुए देखा तो उसे लगा कि जरूर गोलू चिड़िया उसकी कुछ मदद करना चाहती है।
पिंकी से उसकी पुरानी दोस्ती थी ।जब पिंकी पिछले साल नर्सरी कक्षा में आई थी ,तब गोलू चिड़िया से उसकी जान-पहचान हो गई थी । रोजाना सुबह को पिंकी चावल लेकर छत पर जाती थी और गोलू चिड़िया सबसे पहले पिंकी को देखते ही दौड़ कर आ जाती थी। केवल चावल ही नहीं चुगती थी बल्कि पिंकी के हाथ पर चढ़कर बैठ जाती थी और जब तक पिंकी उसके पंखों को अपने नाजुक हाथों से सहला नहीं देती थी, गोलू चिड़िया को चैन नहीं मिलता था । शाम को फिर यही क्रम था । पिंकी पेड़ों में पानी देने के लिए छत पर आती थी, लेकिन असली खिलौना तो गोलू चिड़िया ही थी । उसके साथ खेलने में पिंकी को भी बड़ा मजा आता था । दोनों की दोस्ती रोजाना बढ़ रही थी ।
इसी दोस्ती का परिणाम था कि गोलू चिड़िया इस बात की कोशिश कर रही थी कि पिंकी की पतंग किसी तरह आसमान में उड़ जाए । आखिर पिंकी की समझ में बात आ ही गई । उसने गोलू चिड़िया की चोंच में पतंग का एक कोना पकड़ाया और खुद डोर लेकर दूर खड़ी हो गई । गोलू चिड़िया अब धीरे-धीरे अपनी चोंच से आसमान की तरफ उड़ने की कोशिश करने लगी । मगर पतंग भारी थी । बेचारी गोलू चिड़िया का वजन ही कितना था ! उससे पतंग लेकर आसमान में नहीं उड़ा जा रहा था । लेकिन उसने हार नहीं मानी । ची – ची – ची – ची की आवाज के साथ उसने तीन चिड़ियों को और बुला लिया । यह उसकी या तो बहनें थीं या फिर सहेलियां ।
तीनों चिड़ियों के आने के बाद अब गोलू चिड़िया के साथ-साथ कुल मिलाकर चार चिड़िएँ हो गई थीं। अब क्या था ! चारों ने पतंग के चार कोनों को अपनी चोंच से पकड़ा और फुर्ती के साथ आसमान की तरफ उड़ गईं। पिंकी डोर छोड़े जा रही थी और उसकी पतंग चारों चिड़िएँ अपनी चोंच से पकड़कर आसमान में ऊंचाइयों पर ले जा रही थीं।
पिंकी की इतनी ऊंची उड़ती हुई पतंग को देखकर आस – पड़ोस की छतों पर जो बच्चे खड़े थे ,वह आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने चिड़ियों को देखा और चिड़ियों की चोंच में पकड़ी हुई पतंग को देखकर दांतो तले उंगली दबा ली । पिंकी खुशी से फूली नहीं समा रही थी । आखिर चिड़ियों के साथ उसकी दोस्ती ने उसका त्यौहार खुशनुमा बना ही दिया ।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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