Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2016 · 1 min read

मेघ गोरे हुए साँवरे

मेघ गोरे हुए साँवरे
लो थिरकने लगे पाँव रे

देख मन भावनी सी पवन
और महका हुआ ये चमन
भाव में डूब बहने लगी
कल्पना गीत रचने लगी
घूम आई बहुत दूर तक
मन बसे याद के गाँव रे
मेघ गोरे हुए साँवरे

शोर बिजली करे जोर से
शाम लगता मिली भोर से
हैं धरा भी ख़ुशी में मगन
पर अकेला हुआ ये गगन
चाँद सूरज सितारे नहीं
बादलों की घनी छाँव रे
मेघ गोरे हुए साँवरे

प्रीत दिल में कहीं पल रही
पर विरह आग में जल रही
भीगते साथ तन और मन
पर बुझाये बुझी कब अगन
खेलते प्यार में ही रहे
हार या जीत के दाँव रे
मेघ गोरे हुए साँवरे

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद(उ प्र)

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 15 Comments · 655 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
सौंदर्य मां वसुधा की
सौंदर्य मां वसुधा की
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"दो कदम दूर"
Dr. Kishan tandon kranti
आजमाइश
आजमाइश
AJAY AMITABH SUMAN
गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं
गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं
Er.Navaneet R Shandily
चाय पीने से पिलाने से नहीं होता है
चाय पीने से पिलाने से नहीं होता है
Manoj Mahato
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
कवि रमेशराज
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
शेखर सिंह
वाह भाई वाह
वाह भाई वाह
gurudeenverma198
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कोई नही है वास्ता
कोई नही है वास्ता
Surinder blackpen
इस दरिया के पानी में जब मिला,
इस दरिया के पानी में जब मिला,
Sahil Ahmad
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
Pramila sultan
2786. *पूर्णिका*
2786. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सादगी
सादगी
राजेंद्र तिवारी
कहना है तो ऐसे कहो, कोई न बोले चुप।
कहना है तो ऐसे कहो, कोई न बोले चुप।
Yogendra Chaturwedi
सदा के लिए
सदा के लिए
Saraswati Bajpai
गलतियां ही सिखाती हैं
गलतियां ही सिखाती हैं
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
#लघुकथा / क़ामयाब पहल
#लघुकथा / क़ामयाब पहल
*Author प्रणय प्रभात*
गंवई गांव के गोठ
गंवई गांव के गोठ
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
दिल से हमको
दिल से हमको
Dr fauzia Naseem shad
एक कमबख्त यादें हैं तेरी !
एक कमबख्त यादें हैं तेरी !
The_dk_poetry
यक्ष प्रश्न है जीव के,
यक्ष प्रश्न है जीव के,
sushil sarna
*रामपुर की गाँधी समाधि (तीन कुंडलियाँ)*
*रामपुर की गाँधी समाधि (तीन कुंडलियाँ)*
Ravi Prakash
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मत पूछो मेरा कारोबार क्या है,
मत पूछो मेरा कारोबार क्या है,
Vishal babu (vishu)
ఉగాది
ఉగాది
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
रास्ते  की  ठोकरों  को  मील   का  पत्थर     बनाता    चल
रास्ते की ठोकरों को मील का पत्थर बनाता चल
पूर्वार्थ
कभी-कभी
कभी-कभी
Ragini Kumari
*चुन मुन पर अत्याचार*
*चुन मुन पर अत्याचार*
Nishant prakhar
मजदूर की बरसात
मजदूर की बरसात
goutam shaw
Loading...