Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Sep 2024 · 1 min read

गोपाल हूं मैं, काल भी

गोपाल हूं मैं, काल भी
अनंत नृत्य ताल भी,
मैं कल्पना, मैं कामना
मैं कृष्ण, मैं स्थापना
मैं चेतना, मैं शुद्ध हूं,
मैं धर्म, मैं ही बुद्ध हूं।
सत्य हूं, मैं झूठ भी
मैं स्वच्छ, मैं ही कूट भी।
कुकर्म पर मैं भार हूं
सुकर्म पर सवार हूं
रहस्य का संसार हूं
भविष्य के भी पार हूं।
स्वार्थ हूं, परार्थ भी
मैं शक्ति, मैं पदार्थ भी
क्रोध का उबाल भी
अभेद छल का जाल भी
प्रेम हुं, कृपाल भी,
हे पार्थ! मैं गोपाल ही।।
— Saransh Singh ‘Priyam’

55 Views

You may also like these posts

"मुश्किलों का आदी हो गया हूँ ll
पूर्वार्थ
सुनबऽ त हँसबऽ तू बहुते इयार
सुनबऽ त हँसबऽ तू बहुते इयार
आकाश महेशपुरी
बहुत खूबसूरत है मोहब्बत ,
बहुत खूबसूरत है मोहब्बत ,
Ranjeet kumar patre
मां शारदे!
मां शारदे!
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
shabina. Naaz
राही
राही
Rambali Mishra
हास्य कुंडलियाँ
हास्य कुंडलियाँ
Ravi Prakash
पर्यावरण
पर्यावरण
Neeraj Agarwal
मां भारती से कल्याण
मां भारती से कल्याण
Sandeep Pande
दुआर तोहर
दुआर तोहर
श्रीहर्ष आचार्य
मन अलग चलता है, मेरे साथ नहीं,
मन अलग चलता है, मेरे साथ नहीं,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बेवफा, जुल्मी💔 पापा की परी, अगर तेरे किए वादे सच्चे होते....
बेवफा, जुल्मी💔 पापा की परी, अगर तेरे किए वादे सच्चे होते....
SPK Sachin Lodhi
मेरे पूर्वज सच लिखकर भूखे सोते थे
मेरे पूर्वज सच लिखकर भूखे सोते थे
Ankita Patel
परतंत्रता की नारी
परतंत्रता की नारी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जीवन में संघर्ष
जीवन में संघर्ष
महेश चन्द्र त्रिपाठी
प्रतिशोध
प्रतिशोध
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
গাছের নীরবতা
গাছের নীরবতা
Otteri Selvakumar
शब्द
शब्द
Ajay Mishra
4408.*पूर्णिका*
4408.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अमृत पीना चाहता हर कोई,खुद को रख कर ध्यान।
अमृत पीना चाहता हर कोई,खुद को रख कर ध्यान।
विजय कुमार अग्रवाल
मेरे शहर बयाना में भाती भाती के लोग है
मेरे शहर बयाना में भाती भाती के लोग है
The_dk_poetry
दो पल की ज़िन्दगी में,
दो पल की ज़िन्दगी में,
Dr fauzia Naseem shad
बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब चढे़--
बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब चढे़--
Shreedhar
क्या खूब थी वो जिंदगी ,
क्या खूब थी वो जिंदगी ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
कहां गए बचपन के वो दिन
कहां गए बचपन के वो दिन
Yogendra Chaturwedi
ऐसी दौलत और शोहरत मुझे मुकम्मल हो जाए,
ऐसी दौलत और शोहरत मुझे मुकम्मल हो जाए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तिरस्कार
तिरस्कार
rubichetanshukla 781
मैं चाहती हूँ
मैं चाहती हूँ
Shweta Soni
सुबह का मंजर
सुबह का मंजर
Chitra Bisht
राहें खुद हमसे सवाल करती हैं,
राहें खुद हमसे सवाल करती हैं,
Sunil Maheshwari
Loading...