गोकुल के ग्वाल बाल,
घनाक्षरी
गोकुल के ग्वाल बाल ,मंत्र मुग्ध नंद लाल ,
जसोदा का देख हाल ,माता को रुलाते हैं।
मोर पँख वेणी वाम,एक कर बन्शी थाम।
पग कर थामे राम,पालना झुलाते हैं।
मैया वेणी साध कर ,कान्हा दोऊ हाथ धर।,
नंद बाबा माथ पर ,लेकर बुलाते हैं।
बंशी बाजे संग संग,शयन अनोखा ढंग,
सांवरा सलोना दंग, रीझते सुलाते हैं।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम