गृहणी
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की विश्वास और घमंड में बहुत महीन फ़र्क़ है , मैं यह कर सकता हूँ मेरा विश्वास है और यह मैं ही कर सकता हूँ मेरा घमंड है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो भी कुछ आपको आसानी से हासिल हो जाता है अमूमन इंसान उसकी क़द्र नहीं करता चाहे वो किसी इंसान का ही मिलना हो -समय हो -सफलता हो या कुछ ओर …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हर घर की गृहणी अपना तन जला कर हर हालात में रोटियां पकाती है और बच्चे तथा हम कभी सब्जी पर तो कभी अचार पर रूठ जाते हैं ,इनके लिए तो संडे भी नहीं आता और आता भी है तो डबल काम लेकर …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की शायद अब मैं धीरे धीरे समझने लगा हूँ की क्यों कोई भी इंसान अचानक पंखे से लटक जाता है ,आसान नहीं होता ,उस एक मौत को गले लगाने के लिए सैंकड़ों बार मरना पड़ता है ,…उम्मीद मत छोड़िये ..हर रात के बाद सुबह होनी ही है …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान