खुल गया मैं आज सबके सामने
जो द्वार का सांझ दिया तुमको,तुम उस द्वार को छोड़
तुम हो तो काव्य है, रचनाएं हैं,
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Upon waking up, oh, what do I see?!!
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
तुलना करके, दु:ख क्यों पाले
मां का लाडला तो हर एक बेटा होता है, पर सासू मां का लाडला होन
उससे कोई नहीं गिला है मुझे