गुल से ही गुलकंद है
गुल से ही गुलकंद है,गुल से ही गुलजार !
गुलों बिना होता नहीं ,.. ईश्वर का शृंगार !!
होगा कैसा सोचिए, ….वहाँ मित्र परिवेश !
पे़डों पर खिलता नही,गुल ही जहाँ रमेॆश ! !
रमेश शर्मा
गुल से ही गुलकंद है,गुल से ही गुलजार !
गुलों बिना होता नहीं ,.. ईश्वर का शृंगार !!
होगा कैसा सोचिए, ….वहाँ मित्र परिवेश !
पे़डों पर खिलता नही,गुल ही जहाँ रमेॆश ! !
रमेश शर्मा