गुलों की बगावत
जबसे गुजरा है तू माली इस चमन से,
करने को बगावत तेरे गुल मचल रहे हैं।
ना जाने किसकी नजर लगी इस बागबान को,
जो पत्तों के भी रंग बदल रहे हैं।
जबसे गुजरा है तू माली इस चमन से,
करने को बगावत तेरे गुल मचल रहे हैं।
ना जाने किसकी नजर लगी इस बागबान को,
जो पत्तों के भी रंग बदल रहे हैं।