Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
रोज़ मायूसी से हर शाम घर जाने वाले...
बेख़्वाईश ज़िंदगी चुप क्यों है सिधार गयी क्या
राम संस्कार हैं, राम संस्कृति हैं, राम सदाचार की प्रतिमूर्ति हैं...
-हर घड़ी बदलती है यह ज़िन्दगी कि कहानी,
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
"व्यक्ति जब अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
हर दिन एक नई दुनिया का, दीदार होता यहां।
दिल कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।