गुलामी छोड़ दअ
गुलामी छोड़ दअ भैया
गुलामी छोड़ दअ भाभी
अब किस्मत के ताला के
बा तहरे हाथ में चाभी…
(१)
ना तअ केहू इहा ऊंच बा
ना ही केहू इहां नीच बा
तू उहे काम करअ जवन
तहरा देखला में ठीक बा
सलामी छोड़ दअ चाचा
सलामी छोड़ दअ चाची…
(२)
तू जिल्लत के ई ज़िंदगी
आख़िर कबले जीअबअ
अपमान के घुंट चुपचाप
आख़िर कबले पीअबअ
बदनामी छोड़ दअ मामा
बदनामी छोड़ दअ मामी…
(३)
तू पांच साल के हिसाब
मांगअ देश के सरकार से
देले बा संविधान जवन
मत छोड़अ वो अधिकार के
नीलामी छोड़ दअ बेटा
नीलामी छोड़ दअ बेटी…
(४)
राज-रानी के दौर गईल
अब जनता के राज बा
कानून के हथौड़ा से
टूटत जंगली रिवाज बा
बचकानी छोड़ दअ बाबा
बचकानी छोड़ दअ दादी…
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Shekhar Chandra Mitra
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