गुलामी की जंजीरें
पहले गैरों ने , फिर अपनों ने पहनाई जंजीरें,
नहीं ,अभी नही बदली उसकी किस्मत की लकीरें ।
अफसोस है की गुलामी उसका नसीब बन चुका है,
काश ! कोई फरिश्ता ही आकर करे कुछ तदबीरें ।
पहले गैरों ने , फिर अपनों ने पहनाई जंजीरें,
नहीं ,अभी नही बदली उसकी किस्मत की लकीरें ।
अफसोस है की गुलामी उसका नसीब बन चुका है,
काश ! कोई फरिश्ता ही आकर करे कुछ तदबीरें ।