गुलाब
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सुमनों में प्यारा सुमन, कोमल नर्म गुलाब।
मंत्र-मुग्ध मन को करे, खुश्बू का सैलाब ।। 1।
लाक्षा, पाटल, शतदली, तरह-तरह के नाम।
गुणकारी गुलाब बहुत, इत्र दवा में काम।। २।
जगह-जगह पर लग रहें, रसिक पुष्प का हाट।
कार्ड लाल गुलाब लिए, देखें रसिया बाट।।३।
हँस कर काँटों की चुभन, सहता रहा गुलाब।।
पुष्प राज के रूप में, जिसको मिला खिताब।। ४
उस गुलाब से पूछना, क्या होता है दर्द।
नारी कोमल फूल सी, काँटा होता मर्द।। ५
खिला रहे मुखड़ा सदा, जैसे फूल गुलाब।
आँचल खुशियों से भरे , पूरे हो सब ख्वाब।। ६
कभी चेहरा कमल तो, लगता कभी गुलाब।
अनुपम मोहक रूप का, कोई नहीं जवाब।। ७
कुचल दिया तो क्या हुआ, हूँ गुलाब का फूल।
साँसों में रस घोलती, चुभा हृदय में शूल।। ८
यदि गुलाब के फूल से, मिल जाता यह प्यार।
मिलता माली को प्रथम,प्यार भरा संसार।।९
जिसे कभी पाया नहीं, देखा केवल ख्वाब।
साँसों को महका गया,सुन्दर एक गुलाब।। १ ०
छोड़ गया केवल महक, गुम हो गया गुलाब।
तेरी यादों का सनम, कोई नहीं जवाब।।१ १
रहे सोचते हम यहाँ, कैसै करें प्रपोज।
सारी बातें कह गया,इक छोटा-सा रोज।।१ २
? ? -लक्ष्मी सिंह