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27 Sep 2024 · 1 min read

गुलाब हटाकर देखो

तपती धूप में चलकर देखो,
कांटों पर पांव रखो गुलाब हटा कर देखो।

सिर्फ़ आँख से ही दुनिया नहीं देखी जाती,
दिल की धड़कन को भी नज़र बनाकर देखो।

पत्थर में भी जुबां होती है जनाब,
अपने घर की दीवारो को सजाकर देखो।

चांद सितारों को चमकने दो यूँ ही आँखों में,
ज़रूरी तो नहीं कि उसे जिस्म बना कर देखो।

फ़ासला नज़रों का धोखा ही है,
वो मिल जाए शायद हाथ बढ़ाकर देखो।

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