गुरू
बिन गुरू कै ज्ञान नहीं,
गुरू बिना नहीं मान
गुरू ए सबनै पार लगावै,
बणकै एक पतवार।
संस्कारां का मींह बरसावै,
सच्चाई की राह दिखावै
गुरू ए ज्ञान की लौ जलावै,
बणकै पालनहार।
गलती होवण पैं समझावै
भटक्यां नै सही राह दिखावै।
एक काबिल इंसान बणावै
बणकै दया निधान।
गुरू का दर्जा सबतैं बड़ा
गुरू की महिमा अपारंपार।
गुरू नैं श्रद्धा तैं शीश नवावां
‘विनोद’ करैंगे बेड़ा पार।