Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Sep 2021 · 2 min read

गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु र्गुरूदेवो महेश्वरः

गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु र्गुरूदेवो महेश्वरः

बह्मा इसलिये है क्योंकि हर दृष्टि से तैयार कर उसका निर्माण करता है विष्णु इसलिए है क्योंकि अनेक प्रकार की बुराईयों से बचाकर उसकी रक्षा करता है महेश्वर की तरह दुर्गुणों का संहार करता है ।

परन्तु आज शिष्य बिना प्रयत्न के सब कुछ अर्जित करना चाहता है । आदर भाव बिलकुल समाप्त हो गया । यहाँ तक कि अश्लील हरकतें भी देखने सुनने में आती है इस तरह
गुरू-शिष्य परंपरा कहीं न कहीं कलंकित हो रही है। आए दिन शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों के साथ जातिगत भेदभाव शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर आम बात हो गयी है। आज न तो गुरू-शिष्य की परंपरा रही और न ही वे गुरू और शिष्य रह गये है ।

प्राय देखते है कि छात्र और शिक्षक का सबंध भी उपभोक्ता और सेवा प्रदाता जैसा है छात्रों के शिक्षा मात्र धन से खरीदी जाने वाली वस्तु मात्र है इससे शिष्य की गुरु के प्रति अगाध श्रद्धा और गुरु का छात्रों के प्रति संरक्षक भाव लुप्त होता जा रहा है ।
व्यवसायीकरण ने शिक्षा को कारखाना
एवं धंधा बना दिया है। संस्कार की बजाय धन इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि कि गुरू और शिष्य दोनों के सम्बन्ध खराब हो गये है अत: इस पवित्र संबंध की मर्यादा को बनाये रखने के लिए आगे आयें ताकि हम इस सुदीर्घ परंपरा को सुसंकृत ढंग से रूप में आगे बढ़ाया जा सके। आज हर घर तक शिक्षा को पहुँचाने के लिए सरकार प्रयासरत है ।

शिक्षक ईमादारी से पढ़ाए उसके लिए आवश्यक है कि शिक्षकों की मनःस्थिति को समझा जाए । शिक्षकों को भी वह सम्मान दिया जाए जिसके वे हकदार हैं। शिक्षक शिक्षा और विद्यार्थी के बीच एक सेतु का कार्य करता है । यदि यह सेतु ही कमजोर रहा तो समाज को खोखला एवं पथभ्रष्ट होने में देरी नही लगेगी।

‘शिक्षक दिवस‘ पर मात्र उपहार देने से शिक्षक का पद महिमा मंडित नहीं हो जाता है आवश्यकता है कि शिक्षक की भावनाओं को समझा जाए । शिष्य एवं गुरू को आत्ममंथन कर जानने की आवश्यकता है कि क्यों दोनों के बीच सम्बन्ध खराब क्यों हैं ।

गुरु करुणा है, गुरु का गुरुत्व है गुरु महिमा है। वह अपना सब कुछ चौबीस घण्टे अपने प्रिय शिष्य में उलेड़ने को तत्पर रहता है। इसलिए उसको ठोकता पीटता है, संभालता है, सब कुछ करता है । गुरु देता है तो छोटी-मोटी चीज नहीं देता है कि-

“गुरु समान दाता नहीं,
याचक शिष्य समान,

Language: Hindi
Tag: लेख
81 Likes · 1 Comment · 485 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
3168.*पूर्णिका*
3168.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दिल कहे..!
दिल कहे..!
Niharika Verma
कठपुतली ( #नेपाली_कविता)
कठपुतली ( #नेपाली_कविता)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
वो भारत की अनपढ़ पीढ़ी
वो भारत की अनपढ़ पीढ़ी
Rituraj shivem verma
"बताया नहीं"
Dr. Kishan tandon kranti
মা মনসার গান
মা মনসার গান
Arghyadeep Chakraborty
यादों की किताब
यादों की किताब
Smita Kumari
ये नयी सभ्यता हमारी है
ये नयी सभ्यता हमारी है
Shweta Soni
वो समझते हैं नाज़ुक मिज़ाज है मेरे।
वो समझते हैं नाज़ुक मिज़ाज है मेरे।
Phool gufran
D
D
*प्रणय*
सत्य केवल उन लोगो के लिए कड़वा होता है
सत्य केवल उन लोगो के लिए कड़वा होता है
Ranjeet kumar patre
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
Jogendar singh
They say,
They say, "Being in a relationship distracts you from your c
पूर्वार्थ
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
Ajit Kumar "Karn"
तेरी खुशियों में शरीक
तेरी खुशियों में शरीक
Chitra Bisht
उसने  कहा जो कुछ  तो   पहले वो
उसने कहा जो कुछ तो पहले वो
shabina. Naaz
-  मिलकर उससे
- मिलकर उससे
Seema gupta,Alwar
तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
कवि रमेशराज
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण
Pratibha Pandey
'आरक्षितयुग'
'आरक्षितयुग'
पंकज कुमार कर्ण
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*जनता को कर नमस्कार, जेलों में जाते नेताजी(हिंदी गजल/ गीतिका
*जनता को कर नमस्कार, जेलों में जाते नेताजी(हिंदी गजल/ गीतिका
Ravi Prakash
हम क्यों लगाये यह दिल तुमसे
हम क्यों लगाये यह दिल तुमसे
gurudeenverma198
बारिश की हर बूँद पर ,
बारिश की हर बूँद पर ,
sushil sarna
Pyaaar likhun ya  naam likhun,
Pyaaar likhun ya naam likhun,
Rishabh Mishra
तलाशता हूँ -
तलाशता हूँ - "प्रणय यात्रा" के निशाँ  
Atul "Krishn"
मातृभूमि
मातृभूमि
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गुड़िया
गुड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...