गुरु-शिष्य संबंधी
1. बच्चों में दिखता सदा, ईश्वर का ही रूप।
बच्चों से ही छाँव है, बच्चों से ही धूप।।
2. नमन करूँ शत बार मैं, दिशा दिखाई आज।
दोहे कैसे मैं गढूँ, बता न पाऊँ राज।।
3. नहीं मानते डाँट से,दीन्हा ठोंक बजाय।
शांत हो गए छात्र अब, रहा प्रताप बताय।।
4. करता वंदन आज मैं, मिलकर सब के साथ।
मर जाते मझधार में,बचा लिया गुरु हाथ।।
5. क्षमा गुरु का धर्म है, पालन करें सदैव।
त्रुटी शिष्य का धर्म है, क्षमा कीजिये दैव।।
6. मंगल सबका कीजिए,हे! त्रिलोक के नाथ।
भला सदा होता रहे, गुरु जब होते साथ।।
7. जाने को तैयार हम, निकलेंगे कब प्राण।
ढूंढ रहे थे राह हम,मिले गुरु पाद-त्राण।।
8. चाहत हो यदि लक्ष्य की , करें परिश्रम और।
काम उत्साह न कीजिये , बनते फिर सिरमौर।।
9. निश्छल मन से जब गया,#डॉ_बिपिन समीप।
प्रताप बताये आज फिर, जला ज्ञान का दीप।।