गुरु की महिमा
वन्देऊ गुरु चरण सुखदायी।
जै चरणन में गुरु प्रेम समाही।।
एक घड़ी आधौ घड़ी ध्यान कर लीजै ।
जै चरणन में गुरु कृपा सहिजे।।
गुरु कृपा समरस कछु नाहीं।
रत्न माणिक्य मोह मन नाहीं।।
वन्देऊ गुरु पद परम सनेही।
जै चरण अमृतपूंज सम होई।।
वन्देऊ गुरु पद ध्यान मन लाहीं।
जै चरणन में त्रिलोक समाही।
दिवा -निशा काल ध्यान कर लीजै ।
अस कहे कवि भारत भूषण
जै चरणन ब्रह्म मिलाई।
ता चरणन सम चरणन नाहीं।
वन्दे गुरु चरण परम सौभागी।
गुरु चरणों में समर्पित ।
गुरु कृपाभिलाषी