गुरुपूर्णिमा
उपदेश की नींव पर
यह प्रचारक समाज
क्या कभी
उदाहरण बन पायेगा.
तुलसी, वट,पीपल को पूजने वाले लोग.
क्या कभी
इनके गुणों से लाभान्वित हो पायेंगे .
नोट या सिक्के, किताब/बस्ता गिरने पर माथे से लगाना.
गाडी पर बैठने से पहले स्टेरिंग/हैंडल को पूजने वाले.
क्या कभी हवा टायर,ब्रेक,रेस वायर पर ध्यान जमा पायेगा.
सबका ध्यान, चेतना, बुद्धि भिन्न है.
सबको एक व्यक्ति एक स्थान एक औषधि से कब आराम हुआ है.
एक रीति, एक परंपरा, एक सभ्यता, एक संस्कृति से
सबको कैसे फायदे हो सकते है.
व्यवहार है संसार
सतत है शाश्वत है परिवर्तनशील है.
आज उपयोगिता को जानकर उपभोग का समय है
एक व्यक्ति अच्छा चिकित्सक है.
बेटे को विरासत दे सकता है.
डिग्री उसे प्रदान करने में असमर्थ है.
उसे खुद पढ़ना होगा.
डिग्री हासिल करनी होगी.
लेकिन हो क्या रहा है.
दोनों चिंतित है…. कौन किसका गुरु.
कैसे हो सकते है किसी को प्रदर्शित करने वाले.
लग्न,अभ्यास, समर्पण, प्रेरणा
कौन किसको ..और क्यों ???
चक्र है सृष्टि का …आज तुम हो.
कल कोई और होगा.
हो क्या रहा है ट्रेडिशन ट्रेड ट्रेडमार्क
गर्त से निकलना है.
गर्द को झाडना है . न्यूटन को पढना जरूरी नहीं.
लेकिन चद्दर को झाड़ना होगा.
बिजली के प्रयोग, बल्ब,रेडियो सबका प्रयोग.
लेकिन वैज्ञानिक को जानना जरुरी नहीं.
हाँ अगर आप मिस्त्री है..कार्यशैली से अवगत होना जरूरी है.
आज धार्मिक स्थलों, धार्मिक गुरुओं, पर भीड ये साबित करती है. जनता मानसिक बिमारी से ग्रस्त है.
बढ़ती, चोरी, जारी, लाचारी, अव्यवस्था अचंभित नहीं करती
कौन हैं ये धार्मिक लोग.. किस गुरु की शिक्षाओं का परिणाम है.
व्यक्ति एक कडी है,एक ईकाई है,एक सामाजिक ईकाई है.
हमें खुद सही का प्रचार वा गलत को रोकना होगा.
गुरु आपकी अपनी
चेतना
समझ
विवेक
उकाब
निर्णय
प्रकृति
अस्तित्व
सामंजस्य …. एक स्वतंत्र तत्व.