गुरुदेव प्रणाम
संत दरस हरि दुर्लभ होई ,
बिन गुरु कृपा सुलभ न सोई ।।
साधु संतन्ह की सिवकाई ,
अहो भाग्य में करों बड़ाई ।।
जा पे कृपा गुरु की होई ,
संत दरस सुलभ तेहि होई।।
बड़भागी अतिप्रभु मोहि जाना ,
करहुं प्रणाम गुरुदेव सुजाना ।।
गुरुदेव के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
संजय सेन