गुमराह – कहानी
गुमराह
एक गाँव में चार दोस्त रहते थे उनके नाम थे – मनोज, पंकज, देव एवं विजय | सभी खेतिहर मजदूर के परिवारों से थे | फिर भी एक बात बहुत अच्छी थी कि उन सब के माता – पिता ने उन्हें आई. टी. आई. तक पढ़ाई पूरी करवा दी थी | मनोज प्लम्बर का काम जानता था | पंकज लकड़ी का काम जानता था | देव ने मेसन का काम सीखा था और विजय ने बिजली का काम सीख लिया था | गाँव की जनसँख्या कम होने की वजह से उन्हें उतना काम नहीं मिल पाता था | गाँव की हालत और काम के आभाव के कारण वे खुद से खुश नहीं थे | उन्हें इस बात का भी दुःख था कि हुनर होने के बाद भी वे अपने घर के सदस्यों की कोई आर्थिक मदद नहीं कर पा रहे थे | इस बात का उन्हें बहुत मलाल था | शहर में काम आसानी से नहीं मिलता यही सोच वे गाँव तक ही सीमित हो गए |
सरकार ने तो घोषणा की थी कि पढ़े – लिखे बेरोजगारों को मासिक बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा किन्तु वह भी कागजों तक ही सीमित होकर रह गया था | परिवार वाले भी आये दिन झिड़कियां देते रहते थे | पर वे सब क्या करते | काम मिले तो आय बढ़े | ऐसे ही समय व्यतीत हो रहा था | एक दिन गाँव का ही एक लड़का गोलू जो आपराधिक प्रवृति का था और जिसके बारे में गाँव के लगभग सभी लोग जानते थे | वो आकर इन चारों दोस्तों को “गुमराह” करने की कोशिश करता है और कहता है कि यदि तुम सब मेरी मदद करो तो हम रातों – रात लखपति बन सकते हैं | चारों दोस्त उसे मन करते हैं | गोलू कहता है कि जल्दी नहीं है एक दो दिन बाद फिर मिलूंगा सोचकर बता देना ऐसा सुनहरा मौका दोबारा नहीं मिलता |
गोलू इस चारों दोस्तों के दिमाग में लालच का एक काँटा फंसा गया | वे सोचते “ कभी हाँ कभी ना “ पर आकर बात टिक जाती | कहीं कोई बड़ा अपराध न हो जाए ये सोचकर पीछे हट जाते | दो दिन बाद गोलू चारों दोस्तों को दोबारा अपने साथ जंगल को ओर बहला – फुसलाकर ले जाता है और अपनी योजना बताता है कि हम मिलकर दूसरे गाँव के सेठ करोड़ीमल, जिनके पास हज़ारों बीघा जमीन है उनको लूटेंगे | लूटने की बात सुनकर चारों दोस्त घबरा जाते हैं और इस अपराध में शामिल होने से मना करते हैं | गोलू कहता है केवल एक बार कोशिश कर लेते हैं यदि सफल हुए तो रातों – रात मालामाल | देख लो हम सब एक सप्ताह बाद इस योजना पर अमल करेंगे कोई दिक्कत हो तो तीन दिन बाद बता देना | और भी बहुत से लड़के हैं गाँव में | गोलू चला जाता है | चारों दोस्त बैठकर एक दूसरे से इस अपराध में शामिल न होने का निर्णय लेते हैं और अपने – अपने घर की ओर चल देते हैं |
अगले दिन गाँव में करोड़ीमल सेठ का एक नौकर आता है और चारों दोस्तों का पता पूछता है और चारों के घर जाकर कहता है कि सेठ करोड़ीमल ने तुम सबको अपनी हवेली में बुलाया है | चारों दोस्त घबरा जाते हैं कि कहीं उनकी सेठ को लूटने वाली योजना का पता तो नहीं चल गया | वे सब किसी तरह से खुद को संयमित कर सेठ करोड़ीमल की हवेली पहुँचते हैं | सेठ करोड़ीमल उस सबसे उनका परिचय पूछते हैं और उनके काम के बारे में पूछते हैं और कहते हैं कि मेहनत करके दो वक़्त की रोटी या फिर “ गुमराह ” होकर रातों – रात माल कमाना चाहते हो | चारों दोस्त सेठ के क़दमों में गिर जाते हैं और कहते हैं कि आपको कैसे पता चला लूट की योजना के बारे में | क्योंकि हमने तो ठान लिया था कि गोले के साथ किसी भी अपराध में शामिल नहीं होंगे |
सेठ करोड़ीमल कहते हैं कि मुझे पता है कि तुम सब मेहनत करके हे जीवन में आगे बढ़ना चाहते हो | अब मैं तुम्हें बताता हूँ कि मुझे कैसा पता चला | तो सुनो हुआ यूं कि मैं जंगल के रास्ते गाँव वापस आ रहा था | लघुशंका के लिए मैं झाड़ियों की तरफ गया तो वहां तुम सबको आपस में बात करते पाया | तुम्हारी ईमानदारी ने मुझे तुम्हें “ गुमराह “ होने से बचाने के लिए प्रेरित किया | तुम सब चाहो तो मेरे घर और खेत में आये दिन होने वाले मरम्मत और अन्य कार्य के लिए नौकरी पर आ जाओ | एक और ख़ुशी की बात है कि मैं जल्दी ही इसी गाँव में एक फैक्ट्री लगाने जा रहा हूँ जिसका काम भी तुम सबको ही करना होगा | और आने – जाने के लिए मैं तुम्हें अलग – अलग मोटर साइकिल दिलवा दूंगा जिसकी क़िस्त तुम अपनी तनख्वाह में से दोगे | फुर्सत के समय तुम सब दूसरे गाँवों में भी लोगों के घर का काम कर सकोगे और अपने परिवार के सदस्यों की मदद कर सकोगे |
चारों दोस्त सेठ करोड़ीमल के चरणों में पड़ जाते हैं और उनका धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने उन्हें “ गुमराह “ होने से बचा लिया | वे ख़ुशी – ख़ुशी अपने घर की ओर चल देते हैं |