गुनाह हो गया
किसी को चाहना जैसे गुनाह हो गया।
पतंगा भी फूलों पर फना हो गया।।
जिनके वादे थे संग जीने मरने के।
उनका अपना अलग कैसे जहां हो गया।।
सागर
किसी को चाहना जैसे गुनाह हो गया।
पतंगा भी फूलों पर फना हो गया।।
जिनके वादे थे संग जीने मरने के।
उनका अपना अलग कैसे जहां हो गया।।
सागर