गुनाह कबूल कर,ऐ मर्दों की दुनियाँ
गुनाह कबुल कर , ऐ खुदा के बहादुर बन्दों, हमनवां ,हमनशीं की नुमाइश मत कर,सरेआम हमसफ़र बनाकर, यूं रास्ता पर ना लाया कर। मत हो अलग ,हमजुदा का मतलब कभी ना जान पाओगे ।नाज़ करती है जिसपे ” रब “मैं वो हस्ती हूं ।
रेगिस्तान की भक्तऔलिया हूं अपने पसंद से कृष्ण की मीरा हूं या यूं कहें राजस्थान की भक्त मीरा हूं । मेरी हस्ती , उसकी
परस्ती (संरक्षण) ।