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11 Mar 2022 · 1 min read

गुनगुन मधुकरियाँ करें

जुही, केतकी, कुमुदिनी ,पुलकित कलिका पात ।
दृश्य मनोरम सुष्मिता ,अंशुमान सौगात ।।1

भरकर आँचल रश्मियाँ ,वसुंधरा दे आस ।
अंतर् में किंशुक खिला ,मन भरता मधुमास ।।2

नागन सी डसती रही ,बढ़ती नित ही प्यास ।
आयी स्वयं बयार ले , प्रियतम को अब पास ।।3

गुनगुन मधुकरियाँ करें ,फूली सरसों बीच ।
मधुकर बेसुध दौड़ते ,प्रीति-रीति मन सीच ।।4

मधुकर आनंदित हुए ,पाने सौरभ गंध ।
जोड़ रहे हैं प्रीति का ,कलिका से अनुबंध ।।5

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’शोहरत
मौलिक सृजन
वाराणसी
18/2/2022

Language: Hindi
178 Views

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