Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2018 · 5 min read

गुटकी

गुटकी
———–

” गुटकी ” आज भी जब कभी वो बच्ची मेरे ख्यालों में आती है तो मन मे एक कपकपी सी छूट जाती है , मन उदास हो जाता है और कई दबे हुए प्रश्न फिर से मेरे दिल दिमाग का दरवाजा खटखटाने लगते हैं ” कहाँ होगी वो बच्ची ? , कैसी होगी ? , क्या हुआ होगा उसके साथ ? , क्या वो अपने माँ – बाप को मिल गई होगी ? ”
अब यदाकदा ही उस बच्ची की याद सताती है , शुरू में तो बहुत बैचेन रहती थी और ऑफिस जाते हुए पहले चौराहे की लालबत्ती पर जैसे ही गाड़ी रुकती थी तो मेरी नज़रें उस बच्ची को ही ढूंढती थी बाद में मैं भी आदि होती गई और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में व्यस्त होती गई।
दरअसल बात पिछले साल की है , मैं और मेरे पति शहर में नए नए थे दोनों ने एक ही ऑफिस जॉइन किया था रोज साथ ही निकलते थे ।
घर से निकलते ही पहले चौराहे पर जैसे ही लालबत्ती पर गाड़ी रुकती कुछ बच्चे दौड़ कर आते और गुब्बारे बैचने लगते “ऐ आंटी ले लेना , ऐ अंकल ले लेना ‘ चिल्ला चिल्ला कर गाड़ी का शीशा बजाने लगते।
कुछ दिन तो हम उन्हें अनदेखा करके निकलते रहे लेकिन उनमें एक छोटी सी बच्ची बरबस ही मेरा ध्यान खींच लेती थी ये ही कोई 6 या 7 साल की रही होगी ,” गौरी सी लेकिन मटमैली सूरत , घुँघराले लेकिन गुच्छेदार बिना कंगी किए बाल , मोटी सी पीली सी आंखें लेकिन चंचलता मानो कूट कूट के भरी थी , उम्मीद भरी निगाहों से मासूम सी मुस्कान के साथ सबको देखती , उछल उछल कर गाड़ियों के बीच दौड़ती , हरी बत्ती होते ही फुटपाथ को दौड़ जातीं।
एक दिन घर लौटते समय शीशा खोलकर उसका नाम पूछ ही लिया मेने लेकिन वो नाम बताने के बजाए एक ही रट लगाती रही ” आँटी ले लेना , 2 ही गुब्बारे बचे हैं , आँटी ले लेना , खाना खाऊँगी “, मेने कहा ” पहले नाम बता फिर तेरे दोनों गुब्बारे ले लुंगी “, इतने में ही उसकी माँ दौड़ी चली आई उसकी गोदी में एक बच्चा और भी था ” क्या हुआ पूछने लगी ” , मेने उससे उसका और बच्ची का पूरा परीचय पूछा , उसने बताया इस बच्ची का नाम गुटकी है और ये 5 भाई बहन है 4 बेटी हैं और 5 वा बेटा है जो गोदी में था पिता दिनभर बेलदारी करता है और वहीं फुटपाथ पर तम्बु डाल बसेरा कर रखा था। गांव में खेतीबाडी खत्म हो चुकी थी जो शहर आना पड़ा।
उस दिन उस बच्ची से दोनों गुब्बारे खरीद लिए और उसी को दे दिये फिर घर को चली आई।
दूसरे दिन गाड़ी रुकते ही वो बच्ची फिरसे दौड़ी आई लेकिन इसबार गुब्बारे लेने के लिये नही बोली बल्कि बार बार अपना नाम बताती रही और नटखट सी मेरे ही सामने उछलती रही शायद उस लग रहा था कि कल नाम पूछकर गुब्बारे खरीदे और मुझे ही दे दिए तो आज भी ऐसा ही करेगी।
ऐसा करने का मेरा इरादा तो नही था लेकिन उसकी मासूमियत ने मजबूर कर दिया और मैने एक गुब्बारा खरीदकर उसी को दे दिया कुछ दिनों तक ये क्रम बना रहा , मुझे भी रोज़ गुटकी की आदत सी हो गई थी।
एक दिन रोज़ की तरह मेरी गाड़ी लालबत्ती पर रुकी लेकिन गुटकी नही आई उसकी माँ और बहने भी नज़र नही आई ऑफिस को लेट हो रहे थे तो सीधे ही निकल गये , शाम को लौटते में भी गुटकी और उसके घरवाले नही दिखे तोदूसरे बच्चों से पूछा तो एक ने बताया कि ” कल रात से गुटकी फुटपाथ से गायब है ” सुनते ही मानो मेरे पैरों तले की जमी खिसक गई हो , मेरे पति ने गाड़ी साइड में रोकी और हम गुटकी के तम्बु की ओर चल दिये वहां पहुंचने पर देखा उसकी माँ रो रही थी बापू भी चुपचाप बैठा था और चार पांच लोग उनके इर्दगिर्द बैठे ढाढ़स बंधा रहे थे।
हमारे पूछने पर उसके पिता ने बताया कि तम्बु में किनारे पर सोई थी सुबह उठकर देखा तो यहाँ नही थी बाहर निकल कर आसपास ढूंढा कहीं नही मिली पुलिस ने भी मेरी बात पर ध्यान नही दिया हमे डांटकर भेज दिया ।
हम दोनों उन्हें फिर से पुलिस के पास थाने में ले गए और पुलिस को FIR लिखने को कहा ।
थाना इंचार्ज हमे समझाने लगा कि” जाने दो ना साहब खुद इन लोगों की कोई पहचान वहचान तो है नही , शहर के सारे चौराहों पर इन लोगों ने अवैध रूप से कब्जे कर रखे है , न जाने कौन हैं , कहाँ से आये है , किसके लिए काम करते हैं ये भी नही पता , कोई पहचान पत्र भी नही है इनके पास किस आधार पर इनकी शिकायत दर्ज करें।
वैसे भी आये दिन दारू पीकर कोई ना कोई बखेड़ा खड़ा करते रहते हैं , बच्ची का बाप ही नशे में बेच आया होगा उसे अब अपहरण का नाटक कर रहा है।”
थाना इंचार्ज ने कहा “आप दोनों जानते हो क्या इन्हें ? , क्यों पचड़े में फंस रहे हो ?, बहुत कानूनी पेचीदगियां हैं , झेल सकते हो तो ही अपनी टांग फ़साओ।”
हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे आखिर थे तो नौकरीपेशा आम माध्यम वर्गी ही।
बहुत सोचा और कल देखते हैं का दिलासा खुद को भी दिया और गुटकी के पिता को भी दिया और घर लौट आये।
घर आकर भी दिमाग में शान्ति नही थी ऑफिस के दोस्त को फोन किया जो इसी शहर का रहने वाला था उसने कुछ समाज सेवी संस्थाओं के नंबर दे दिये हमने भी तुरंत ही उन संस्थाओं में फोन कर दिया , दूसरे दिन ऑफिस जाते देख कि उस चौराहे पर गहमा गहमी मची थी , कुछ समाज सेवी संस्थायें अपने पोस्टर बैनर लेकर आ चुकी थी और नारेबाजी भी कर रही थीं , गुटकी के माँ बाप भी वहीं थे , कुछ पत्रकार भी नज़र आ रहे थे।
हम दोनों को लग रहा था कि अब कुछ होगा और शायद गुटकी भी मिल जाएगी , ऑफिस टाइम से पहुंचना था सो हम वहां रुके नही शाम को रुकेंगे सोचकर आगे बढ़ गए।
दो एक दिन अखबार में भी मामला आया , पुलिस भी हरकत में आ चुकी थी लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते गए मामला भी ऐसे शांत होता गया जैसे कुछ हुआ ही नही , सभी संस्थाए भी ठंडी पड़ चुकी थी।
रोज़ की तरह वहीं सड़क थी , वहीं चौराहा था , वहीं हम थे , वहीं गुटकी के माता – पिता थे बस गुटकी नही थी।

मीनाक्षी माथुर
जयपुर

Language: Hindi
283 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुक्तक – आज के रिश्ते
मुक्तक – आज के रिश्ते
Sonam Puneet Dubey
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
इंजी. संजय श्रीवास्तव
गिलोटिन
गिलोटिन
Dr. Kishan tandon kranti
वो चाहती थी मैं दरिया बन जाऊं,
वो चाहती थी मैं दरिया बन जाऊं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
One-sided love
One-sided love
Bidyadhar Mantry
G
G
*प्रणय*
गम इतने दिए जिंदगी ने
गम इतने दिए जिंदगी ने
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
भ्रातत्व
भ्रातत्व
Dinesh Kumar Gangwar
" कैसा हूँ "
Dr Mukesh 'Aseemit'
होना नहीं अधीर
होना नहीं अधीर
surenderpal vaidya
तस्वीर से निकलकर कौन आता है
तस्वीर से निकलकर कौन आता है
Manoj Mahato
स्मृति : पंडित प्रकाश चंद्र जी
स्मृति : पंडित प्रकाश चंद्र जी
Ravi Prakash
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
Ajit Kumar "Karn"
Let us converse with ourselves a new this day,
Let us converse with ourselves a new this day,
अमित
🌸*पगडंडी *🌸
🌸*पगडंडी *🌸
Mahima shukla
4860.*पूर्णिका*
4860.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दुआ नहीं होना
दुआ नहीं होना
Dr fauzia Naseem shad
"ऐसा है अपना रिश्ता "
Yogendra Chaturwedi
चलो दो हाथ एक कर ले
चलो दो हाथ एक कर ले
Sûrëkhâ
आए हैं फिर चुनाव कहो राम राम जी।
आए हैं फिर चुनाव कहो राम राम जी।
सत्य कुमार प्रेमी
इनपे विश्वास मत कर तू
इनपे विश्वास मत कर तू
gurudeenverma198
रमेशराज के दस हाइकु गीत
रमेशराज के दस हाइकु गीत
कवि रमेशराज
छोटी- छोटी प्रस्तुतियों को भी लोग पढ़ते नहीं हैं, फिर फेसबूक
छोटी- छोटी प्रस्तुतियों को भी लोग पढ़ते नहीं हैं, फिर फेसबूक
DrLakshman Jha Parimal
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
जय लगन कुमार हैप्पी
जिंदगी
जिंदगी
Sangeeta Beniwal
महालय।
महालय।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मजदूर
मजदूर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कोई ना होता है अपना माँ के सिवा
कोई ना होता है अपना माँ के सिवा
Basant Bhagawan Roy
मन मेरा दर्पण
मन मेरा दर्पण
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
एक महिला जिससे अपनी सारी गुप्त बाते कह देती है वह उसे बेहद प
एक महिला जिससे अपनी सारी गुप्त बाते कह देती है वह उसे बेहद प
Rj Anand Prajapati
Loading...