गुजारा हो सके घर का _ मुक्तक
झूंठ बोलो राज करो _ बात यह मैने रटी नहीं।
कारण यही था किसी से जमाने में पटी नही।।
गुजारा हो सके घर का_ आय इतनी है मेरी।
सब कुछ घटता रहा आय मानिए घटी नहीं।।
राजेश व्यास अनुनय
झूंठ बोलो राज करो _ बात यह मैने रटी नहीं।
कारण यही था किसी से जमाने में पटी नही।।
गुजारा हो सके घर का_ आय इतनी है मेरी।
सब कुछ घटता रहा आय मानिए घटी नहीं।।
राजेश व्यास अनुनय