गुज़ारिश
मुझे कोई दे दे ख़ुदा-रा
कहीं दूर से भी इशारा…
(१)
डूबते हुए को
होता है काफी
एक तिनके भर का सहारा…
(२)
लहरों में आखिर
डोलूं मैं कब तक
मिल जाए कभी तो किनारा…
(३)
छिपा हुआ जाने
किन बादलों में
क़िस्मत का मेरी सितारा…
(४)
तरसी हुईं ये
व्याकुल आंखें
ढूंढें एक दिलकश नज़ारा…
(५)
ना कोई रहबर
ना कोई साथी
ऐसे होगा कब तक गुजारा…
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Shekhar Chandra Mitra
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